Overview
Assalamu Alaikum Nazreen ! Dua E Qunoot In Hindi दुआ ए क़ुनूत एक अहम दुआ है जो मुसलमान नमाज़ के दौरान पढ़ते हैं। इसे वित्र की तीसरी रकात में पढ़ा जाता है, जो इशा की नमाज़ के बाद अदा की जाती है।
यह दुआ अल्लाह तआला से मदद और रहमत की दरख्वास्त है, और इसे पढ़ना मुसलमानों के लिए बहुत सवाब का बाइस है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएँगे की दुआ क़ुनूत क्या है इसे क्यों पढ़ा जाता है इसके फायदे क्या है इसका मक़सद क्या है और बहुत कुछ बयान किया गया है.
दुआ ए क़ुनूत का मकसद
Dua E Qunoot का मकसद अल्लाह से मदद और रहमत की दरख्वास्त करना है। यह दुआ हमें मुश्किलात और परेशानियों से बचाने के लिए है और हमें सही राह पर चलने की ताक़त देती है।
इस दुआ में अल्लाह से माफी और रहमत की दरख्वास्त की जाती है और उसकी बारगाह में हमारी जरूरतों को पेश किया जाता है।
Dua e qunoot in Hindi | दुआ ए कुनूत हिंदी में
1. अल्लाहुम्मा इन्ना नस्त-ईनुका व नस्तगफिरुका व नु’मिनु बिका व नतवक्कलु अलैका व नुस्नि अलैकल खैर 2. व नशकुरुका व ला नक्फुरुका व नखल-ऊ व नतरुकु मय्यफ्जुरुक 3. अल्लाहुम्मा इय्याका नाबुदु व लका नुसल्ली व नस्जुदु 4. व इलै-क नसआ व नहफ़िदु व नरजु रहमतक व नखशा अज़ा-ब-क 5. इन्ना अज़ाबका बिल कुफ़्फ़ारि मुलहिक |
Dua E Qunoot Meaning In Hindi | दुआ ए कुनूत हिंदी में तर्जुमा
ऐ अल्लाह! हम तुझसे मदद माँगते हैं। और तुझ से माफ़ी चाहते हैं। और तुझ पर ईमान रखते हैं।और तुझ पर भरोसा करते हैं और भलाई के साथ तेरा ज़िक्र करते हैं। और तेरा शुक्र ऐडा करते हैं।
और तेरी ना शुक्रि नहीं करते। और जो तेरा कहा नहीं मानता उसे हम छोड़ देते हैं। और उससे अलग हो जाते हैं। ऐ अल्लाह हम तेरी ही इबादत करते हैं। और हम तेरे ही लिए नमाज़ पढ़ते हैं।
और तुझको ही सजदा करते हैं। और हम तेरी ही ओर लपकते हैं और तेरी ही ख़िदमत अंजाम देते हैं। और हम तेरी रहमत के उम्मीदवार हैं। और तेरे अज़ाब से डरते हैं। बेशक तेरा अज़ाब कुफ्र करने वालों को मिल कर रहेगा।
Dua E Qunoot In Arabic
اللّهُمَّ إِنَّا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُثْنِي عَلَيْكَ الْخَيْرَ وَلاَ نَكْفُرُكَ، وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَخْضَعُ لَكَ، وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ يَفْجُرُكَ. اللّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّي وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعَى وَنَحْفِدُ، نَرْجُو رَحْمَتَكَ وَنَخْشَى عَذَابَكَ، إِنَّ عَذَابَكَ بِالْكُفَّارِ مُلْحِقٌ.
दुआ ए क़ुनूत कैसे पढ़ें
३ रकात वित्र नमाज़ पढ़ने का तरीका
१. नियत की मैंने ३ रकात नमाज़ वित्र वाजिब वक़्त ईशा का वास्ते अल्लाह ता’अला के मुँह मेरा काबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.
२. सना.
३.औजू बिल्लाहि मिनश -शैतानीर-राजिम बिस्मिल्लाही रहमानीर रहीम
४. सुरह अल फातिहा
५. और कोई एक सूरह
६. अल्लाहु अकबर कह के रुकू करे
७. सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़े ३ बार
८. समी अल्लाह हुलिमन हमीदह कहते हुवे खड़ा हो जाये
९. अल्लाहु अकबर कह कर के सजदा करे और पढ़े सुब्हान रब्बियल आला ३ बार
१०. फिर इसी तरह एक और रकात मुकम्मल करे और दूसरे सजदे के बाद जलसामे बैठ जाये और तहिय्यात पढ़े
११. फिर तहिय्यत पढ़ने के बाद अल्लाहु अकबर कह के ३ रे रकात के लिए खड़े हो जाये
१२. ३ रकात में सूरह अल फातिहा के बाद कोई एक सूरह पढ़ के हात को कानो तक उठाले और फिरसे हांथोको बांध ले
१३. उसके बाद दुआ इ क़ुनूत पढ़े और पढ़ के रुकू में चले जाये और जैसा नमाज़ पढ़ते है वैसे ही नमाज़ को मुकम्मल करे.
दुआ ए क़ुनूत के फवाइद
- यह दुआ पढ़ने से अल्लाह की रहमत और बरकत हासिल होती है।
- यह दुआ गुनाहों की माफी के लिए बहुत असरदार है।
- यह दुआ हर तरह की परेशानियों और मुश्किलात से हिफाज़त करती है।
- इसे पढ़ने से इबादत का सवाब मिलता है और दिल को सुकून मिलता है।
Dua Qunoot की एहमियत
दुआ ए क़ुनूत की एहमियत बहुत ज्यादा है क्योंकि यह दुआ अल्लाह तआला से हमारे ताल्लुक को मजबूत करती है।
इसे पढ़ने से हमारे दिल में अल्लाह की मुहब्बत बढ़ती है और हमारी इबादतें कबूल होती हैं।
नतीजा
दुआ ए क़ुनूत एक बहुत अहम और मुबारक दुआ है जो हर मुसलमान को सीखनी चाहिए और अपनी नमाज़ों में शामिल करनी चाहिए। यह दुआ न सिर्फ हमारे रब्ब से मदद की दरख्वास्त है बल्कि हमारे ईमान को मजबूत करने का भी जरिया है।
इसलिए, हमें चाहिए कि हम इस दुआ को दिल की गहराइयों से पढ़ें और अल्लाह तआला की रहमत और माफी की उम्मीद करें।
अल्लाह तआला हमें दुआ ए क़ुनूत सही तरीके से पढ़ने की तौफीक अता फरमाए और हमारी दुआओं को कबूल फरमाए। आमीन।
FAQs
क्या दुआ ए क़ुनूत को याद करना मुश्किल है?
दुआ ए क़ुनूत को याद करना मुश्किल नहीं है। इसे आप धीरे-धीरे याद कर सकते हैं और अपनी नमाज़ में शामिल कर सकते हैं। नियमित रूप से पढ़ने से यह आपके दिल और जुबान पर आ जाएगी।
क्या दुआ ए क़ुनूत का कोई खास फायदा है?
दुआ ए क़ुनूत पढ़ने से दिल को सुकून मिलता है, ईमान मजबूत होता है और अल्लाह तआला की मर्जी के मुताबिक चलने की हिम्मत मिलती है।
क्या दुआ ए क़ुनूत सिर्फ वित्र में पढ़ी जा सकती है?
हालांकि दुआ ए क़ुनूत वित्र की नमाज़ में पढ़ी जाती है, लेकिन आप इसे किसी भी समय पढ़ सकते हैं जब आप अल्लाह से मदद और रहमत की दरख्वास्त करना चाहें।
. दुआ ए क़ुनूत किसने बताई?
दुआ ए क़ुनूत हमें हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बताई है और इसे सही हदीसों से प्रमाणित किया गया है।